गजल सम्राट पंकज उधास ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहा
हमारे प्रिय गजल सम्राट, पंकज उधास जी, अब हमारे बीच नहीं रहे। यह भावभीनी सूचना उनकी प्रिय बेटी नायाब ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से साझा की है। पंकज जी ने अपने जीवन के 73 वसंत पूरे किए और हाल ही में, वे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी अमर आवाज़ को ‘चिट्ठी आई है’ जैसी गजलों के माध्यम से हमेशा याद किया जाएगा, जिसने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया था।
इस खबर के प्रसारित होते ही संगीत जगत पर शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों से लेकर सहकर्मी तक, सभी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि और संवेदनाएँ व्यक्त कर रहे हैं।
पंकज जी का जाना सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उनके गीतों ने हमें प्यार, दर्द, और उम्मीद के कई रंग दिखाए। आइए, हम सभी मिलकर उनके योगदान को याद करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।
आपके संगीत ने जो खुशियाँ दी हैं, वो हमेशा हमारे साथ रहेंगी, पंकज उधास जी। आपको शत-शत नमन।
मुंबई के प्रसिद्ध विल्सन और सेंट जेवियर्स कॉलेज से विज्ञान की पढ़ाई करने के बाद, एक युवा प्रतिभा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने मास्टर नवरंग के मार्गदर्शन में गायन की शिक्षा शुरू की। उनकी आवाज़ पहली बार फिल्म ‘कामना’ में सुनाई दी, जिसका संगीत उषा खन्ना ने तैयार किया था। हालांकि फिल्म सफल नहीं हुई, उनके गाने ने सभी का दिल जीत लिया।
इसके बाद, उन्होंने ग़ज़लों की ओर रुख किया और उर्दू सीखकर एक अनोखे सफर की शुरुआत की। उन्होंने कनाडा और अमेरिका में अपनी ग़ज़लों से सभी को मोहित कर दिया और फिर भारत लौट आए। उनका पहला ग़ज़ल एल्बम ‘आहट’ 1980 में रिलीज़ हुआ, जिसने उन्हें संगीत जगत में एक पहचान दी। उन्होंने 50 से ज्यादा एल्बम और सैकड़ों संकलन जारी किए।
1986 में, ‘नाम’ फिल्म में उनका गाना उन्हें और भी प्रसिद्ध बना दिया। फिर 1990 में, ‘घायल’ फिल्म के लिए लता मंगेशकर के साथ उनकी जोड़ी ने ‘महिया तेरी कसम’ गाने को अमर बना दिया। 1994 में, ‘मोहरा’ फिल्म के ‘ना कजरे की धार’ गाने ने उन्हें और भी लोकप्रिय बना दिया। उधास ने अपने करियर में कई फिल्मों में अपनी आवाज़ दी।
उनका एल्बम ‘शगुफ्ता’ भारत में CD पर रिलीज़ होने वाला पहला एल्बम था। उन्होंने ‘आदाब आरज़ है’ नामक टीवी शो से नए गायकों को एक मंच दिया। जाने-माने अभिनेता जॉन अब्राहम उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं।
इस सफर को बयान करते हुए, हम देख सकते हैं कि कैसे उनकी गायिकी ने न केवल उन्हें बल्कि ग़ज़ल संगीत को भी एक नई पहचान दी। उनकी आवाज़ में वह जादू है, जो सीधे दिल से निकलकर दिल तक पहुँचता है।